महिलाएं शिक्षित हो ,तो देश होगा समृद्ध

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महिलाएं शिक्षित हो ,तो देश होगा समृद्ध

महिलाएं शिक्षित हो ,तो देश होगा समृद्ध

बीकानेर। हम देश भर में महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं, हमें इस बात पर सहमत होना होगा कि महिला शिक्षकों ने महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उन्होंने दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए दिन-रात काम किया है। उन्होंने प्रौद्योगिकी, राजनीति, उद्यमिता और सबसे महत्वपूर्ण, शिक्षा सहित क्षेत्रों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं।


देश भर के अधिकांश स्कूलों में, आपको महिला शिक्षक मिलेंगी जिन्होंने कई छात्रों को पढ़ाया, ढाला, प्रेरित और प्रभावित किया है।उक्त विचार सुश्री ऋतु शर्मा जोधपुर प्रांत प्रचारिका,राष्ट्र सेविका समिति ने बीकानेर के होटल वृंदावन में राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के जिला महिला समूह बैठक में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये।


उन्होंने कहा कि ऐसे देश में जहां लड़कियों को बुनियादी शिक्षा से वंचित किया जाता रहा हो वहां महिला शिक्षक लैंगिक समानता को बढ़ावा दे रही हैं और बच्चे के समग्र विकास में योगदान दे रही हैं। सशक्तिकरण की उत्प्रेरक होने के अलावा महिला शिक्षक परिवर्तन की अग्रदूत भी हैं। आज दुनिया भर में 80 मिलियन शिक्षकों में से आधे से अधिक महिलाएँ हैं। ऐसे में विश्व में जो भी परिवर्तन दिखाई पड़ रहे है उसमें आधा योगदान महिला शिक्षिकाओं का है।


उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो.श्रीमतीअनिला पुरोहित राजकीय डूंगर महाविद्यालय ने अपने उद्बोधन मेंकहा कि नारी ब्रह्मा विद्या हैं श्रद्धा है आदि शक्ति है सद्गुणों की खान हैं और वह सब कुछ है जो इस प्रकट विश्व में सर्वश्रेष्ठ के रूप में दृष्टिगोचर होती होता हैं।नारी वह सनातन शक्ति है जो अनादि काल से उन सामाजिक दायित्वों का वहन करती आ रही हैं।माता पिता के रूप में नारी ममता, करुणा, वात्सल्य, सह्रदयता जैसे सद्गुणों से यूक्त है।


वहीं अध्यक्षता कर रही श्रीमती रचना गुप्ता उप प्राचार्य ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के निर्माण में उस राष्ट्र की आधी आबादी महिलाओं की है ऐसे में उनकी भूमिका की महत्ता से इनकार नही किया जा सकता हैं।अगर महिलाओं की आधी आबादी किसी भी कारण से निष्क्रिय रहती हैं तो उस राष्ट्र या समाज की समुचित और उल्लेखनीय प्रगति के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं।


जिला महिला समूह की बैठक के समापन सत्र की मुख्य अतिथि श्रीमती विमला डूकवाल डीन कालेज आफ कॉम्युनिटी सांइस ने कहा कि आधुनिकता के आगमन एवं शिक्षा के प्रसार ने महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना प्रारम्भ किया।जिसका परिणाम राष्ट्र की समुचित प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर होने के रूप में सामने हैं। स्वाधीनता प्राप्ति के बाद स्त्रियों ने सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में अपनी स्थिति को निरंतर सुद्रढ़ किया हैं।
उन्होंने कहा की स्वत्रत्रता संग्राम में भी महिलाओं की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। उदघोषक सुनीता विश्नोई जिला महिला संगठन मंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में  देश की कईं महिलाओं ने अपनी महती भूमिका निभाई है।


चिकित्सा का क्षेत्र हो या इंजीनियरिंग का, सिविल सेवा का हो या बैंक का, पुलिस का हो या फौज का, वैज्ञानिक हो या व्यवसायी प्रत्येक क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर स्त्रिया आज सम्मान के पद पर आसीन हैं।आज नारी पुरुषों से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं और देश को आगे बढ़ा रही हैं।


वही अध्यक्षता कर रही श्रीमती चंद्रकला भादानी जिला महिला मंत्री ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में स्त्रियों का सबसे बड़ा योगदान घर एवं परिवार को संभालने के रूप में हमेशा रहा हैं। किसी भी समाज में श्रम विभाजन के अंतर्गत कुछ सदस्यों को घर एवं बच्चों को संभालना एक अत्यंत महत्वपूर्ण दायित्व हैं।अधिकांश स्त्रियाँ इस दायित्व का निर्वाह बखूबी कर रही हैं।


घर को संभालने के लिए जिस कुशलता और दक्षता की आवश्यकता होती है उसका पुरुषों के पास सामान्यतया अभाव होता हैं इसलिए स्त्रियों का शिक्षित होना अनिवार्य हैं।यदि स्त्री शिक्षित नहीं होगी तो आने वाली पीढियां अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकती एक शिक्षित स्त्री पूरे परिवार को शिक्षित बना देती हैं।
उद्घाटन सत्र की मुख्य वक्ता श्रीमती रेखा नारंग संगठन से नियुक्त प्रदेश पर्यवेक्षक ने बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए संगठन परिचय एवं कार्य पद्धति एवं वार्षिक कार्यक्रम के बारे में अवगत करवाया।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बीकानेर विभाग प्रचारक विनायक कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा की  निश्चित रूप से नारी ने अनेक बाधाओं के बावजूद नई बुलंदियों को छुआ हैं। और घर के अतिरिक्त बाहर भी स्वयं को सुद्रढ़ता से स्थापित किया हैं।


नारी के जुझारूपन का लोहा सबकों मानना पड़ा हैं।
विभाग प्रचारक ने कहा की आज भी हमारे यहाँ शास्त्रों में कहा गया है कि जहाँ नारी का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता हैं, और हम मानते है कि देवता कार्यसिद्धि में सहायक होते हैं।इसलिए कहा जा सकता है कि जिस समाज में नारी बढ़ चढ़कर विभिन्न क्षेत्र से सम्बन्धित कार्यों में हिस्सा लेती है वहां प्रगति की संभावनाएं अत्यंत बढ़ जाती हैं।घर गृहस्थी का निर्माण हो या राष्ट्र का निर्माण नारी के योगदान के बिना कोई भी निर्माण पूर्ण नहीं हो सकता हैं।


उन्होंने कहा कि भारतीय समाज महिलाओं को उनका उपयुक्त स्थान दिलाने के लिए कटिबद्ध हो। उनकी मेधा और ऊर्जा का भरपूर उपयोग हो तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उनके साथ समानता का व्यवहार हो।जिससे उनके अपने विकास का पूरा अवसर प्राप्त हो सके। क्योंकि ऐसी स्थिति में ही भारतीय समाज में स्त्रियों का योगदान अधिकतम हो सकता हैं।किन्तु वास्तव में शक्ति और अधिकार तब तक उनकी सहायता नहीं कर सकते है।जब तक महिलाएं स्वयं अपनी मानसिकता को ऊपर उठाकर दृढ इच्छा शक्ति के बिना किया गया प्रयास सफलता की चरम उपलब्धि से उन्हें हमेशा वंचित कर देगा।


समापन सत्र उदघोषक श्री मति चैना देवी उपशाखा महिला मंत्री ने किया। 
जिलामंत्री नरेंद्र आचार्य,प्रदेश उपाध्यक्ष ओमप्रकाश विश्नोई,ओमप्रकाश रोड़ा,लेखराम गोदारा, जिलाध्यक्ष मोहनलाल भादू, भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में वन्दे मातरम श्रीमती सुमन ओझा ने प्रस्तुत किया।
अतिथियों द्वारा मा सरस्वती व महापुरुषों की तस्वीर पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलन, प्रार्थना,वंदे मातरम के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।