1 मां ने निभाया पिता का फर्ज, मजबूत इरादों के दम पर बेटी के सपने को किया पूरा, पढ़ें संघर्ष की कहानी
1 मां ने निभाया पिता का फर्ज, मजबूत इरादों के दम पर बेटी के सपने को किया पूरा, पढ़ें संघर्ष की कहानी
Father's Day Inspiration Story: आज फादर्स डे (Father's Day) के मौके पर देशभर में पिता के संघर्ष की कहानी बताई जा रही है। लेकिन क्या आप कभी सोच सकते हैं कि कोई मां एक पिता की तरह जिम्मेदारियां निभाएं। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सरहदी इलाके बाड़मेर की। यहां के एक छोटे से गांव रावतसर की रहने वाली 18 साल की पूर्वी ने नीट परीक्षा में 720 में से 658 अंक हासिल किए हैं। राजस्थान में उन्हें 4983 वीं रैंक मिली है।
लेकिन क्या आपको पता है कि पूर्वी के पिता दिलीप की 2011 में ही सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद पूर्वी की माता शांति चौधरी जो वर्तमान में सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल है उन्होंने सारी जिम्मेदारियां निभाई।
महिला ने नौकरी के साथ घर भी संभाला
नौकरी करने के साथ उन्होंने घर को संभाला और प्रिंसिपल की नौकरी होने के बाद भी उन्होंने बच्चों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान रखा। हालांकि शांति चौधरी ने अपनी बेटी को कोचिंग नहीं करवाई। बल्कि घर पर ही उसके लिए एक पढ़ाई का शानदार माहौल तैयार कर दिया। शांति चौधरी खुद भी अपनी बेटी की पढ़ाई में मदद करती। अब पूर्वी का कहना है कि उसकी सफलता का पूरा क्रेडिट उसकी मां शांति चौधरी को जाता है। जिनके चलते आज वह देश की कठिन माने जाने वाली परीक्षा में इतने अच्छे नंबर हासिल कर पाई है।
1 Mother fulfilled the duty of a father, fulfilled the dream of daughter with strong determination, read the story of struggle
Father's Day Inspiration Story: Today, on the occasion of Father's Day, the story of the struggle of fathers is being told across the country. But can you ever imagine that a mother fulfills responsibilities like a father. We are talking about Barmer, the border area of Rajasthan. 18-year-old Poorvi, a resident of Rawatsar, a small village here, has scored 658 out of 720 marks in the NEET exam. She has got 4983rd rank in Rajasthan.
But do you know that Poorvi's father Dilip died in a road accident in 2011 itself. After this, Poorvi's mother Shanti Chaudhary, who is currently the principal in a government school, took over all the responsibilities.
The woman also took care of the house along with the job
Along with doing the job, she took care of the house and even after being the principal, she took full care of the children's studies. However, Shanti Chaudhary did not get her daughter coached. Rather, she created a great environment for her to study at home. Shanti Chaudhary herself used to help her daughter in her studies. Now Poorvi says that the entire credit for her success goes to her mother Shanti Chaudhary. Because of whom today she has been able to score such good marks in the country's toughest exam.