RSS स्वयंसेवक सदानंदन मास्टर को राष्ट्रपति ने राज्यसभा भेजा: जानें वह प्रेरक कहानी जिसने देश को झकझोर दिया

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RSS स्वयंसेवक सदानंदन मास्टर को राष्ट्रपति ने राज्यसभा भेजा: जानें वह प्रेरक कहानी जिसने देश को झकझोर दिया
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RSS स्वयंसेवक सदानंदन मास्टर को राष्ट्रपति ने राज्यसभा भेजा: जानें वह प्रेरक कहानी जिसने देश को झकझोर दिया

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार (13 जुलाई, 2025) को 4 प्रमुख हस्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया। इनमें सबसे अधिक चर्चा में रहे केरल के सामाजिक कार्यकर्ता और RSS स्वयंसेवक C सदानंदन मास्टर। जिनके दोनों पैर 1994 में वामपंथी गुंडों ने काट दिए थे, वही अब राज्यसभा पहुँचकर एक ऐतिहासिक मिसाल बने हैं।

सदानंदन मास्टर को राज्यसभा नामांकन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर बधाई देते हुए कहा, "उनका जीवन साहस और अन्याय के खिलाफ अडिग रहने की प्रतीक है।"

कौन हैं C सदानंदन मास्टर?

61 वर्षीय C सदानंदन मास्टर कन्नूर, केरल के रहने वाले हैं। पेशे से शिक्षक रहे मास्टर करीब 5 दशक से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनके परिवार में सभी लोग वामपंथी विचारधारा से जुड़े थे, फिर भी उन्होंने राष्ट्रवाद और संघ का रास्ता चुना।

कॉलेज के समय briefly वामपंथी विचारधारा में भी गए, पर ‘भारत दर्शानांगल’ कविता पढ़ने के बाद फिर संघ से पूरी तरह जुड़ गए। उनके समर्पण और समाजसेवा को देखते हुए 2016 में भाजपा ने उन्हें कूथूपरम्बू विधानसभा से टिकट दिया था, हालांकि वहाँ से वे हार गए थे।

1994 में हुआ था भयावह हमला

25 जनवरी 1994 की शाम, जब मास्टर सदानंदन अपनी बहन की शादी की तैयारी से लौट रहे थे, CPI(M) के गुंडों ने उन पर जानलेवा हमला किया। न केवल बुरी तरह पीटा बल्कि बीच सड़क पर उनके दोनों पैर काट दिए। भीड़ को डराने के लिए बम फोड़ा गया ताकि कोई उनकी मदद न कर सके।

इसके बावजूद मास्टर ने हार नहीं मानी। अस्पताल में लंबे इलाज और नकली पैरों के सहारे, उन्होंने फिर चलना सीखा और समाजसेवा में लौट आए।

संघर्ष और न्याय

हमले के बाद भी सदानंदन मास्टर ने RSS और भाजपा के संगठनात्मक काम में सक्रिय योगदान दिया। 2007 में कोर्ट ने उनके हमलावरों को सजा सुनाई, जिसे बाद में हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा। 2025 में केरल हाई कोर्ट ने भी कम्युनिस्ट गुंडों की सजा बरकरार रखी।

आज बनें प्रेरणा के प्रतीक

सदानंदन मास्टर आज देश में साहस, राष्ट्रभक्ति और अडिग जज्बे का प्रतीक बन चुके हैं। उनका राज्यसभा पहुँचना हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहता है।