जैन समाज का सबसे बड़ा तप वर्षीतप, 30 अप्रैल को तेरापंथ भवन में होगा समापन समारोह
बीकानेर में जैन समाज के सबसे बड़े तप वर्षीतप का भव्य पारणा आयोजन 30 अप्रैल को तेरापंथ भवन में होगा, जिसमें 46 वर्षों से तप कर रहे मुनि कमल कुमार भी शामिल होंगे।

अक्षय तृतीया पर तेरापंथ भवन में होगा वर्षीतप का भव्य पारणा समारोह, 21 साधक करेंगे तपस्या पूर्ण
बीकानेर/गंगाशहर। जैन समाज के सबसे बड़े तप वर्षीतप का पारणा इस बार 30 अप्रैल 2025 को गंगाशहर के तेरापंथ भवन में संपन्न होगा। इस पावन अवसर पर 21 साधक एक वर्ष की कठिन तपस्या पूरी करने के बाद गन्ने के रस से पारणा करेंगे।
वर्षीतप, जिसे वर्षी तप भी कहा जाता है, जैन धर्म का एक उच्च कोटि का आध्यात्मिक साधना क्रम है। इसमें साधक पूरे 13 माह तक एक दिन उपवास और एक दिन भोजन का कठोर नियम पालन करते हैं। भोजन भी केवल सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले सीमित मात्रा में ग्रहण किया जाता है।
मुनिश्री कमल कुमार, जो 46 वर्षों से लगातार वर्षीतप कर रहे हैं, ने जानकारी दी कि वर्षीतप आत्मा की शुद्धि, कर्मों के क्षय और मोक्षमार्ग में प्रगति हेतु किया जाता है। इसके साथ ही शरीर को स्वस्थ रखने का यह एक वैज्ञानिक उपाय भी है।
इस आयोजन में मुनिश्री विमल विहारी जी (प्रथम वर्षीतप), मुनिश्री श्रेयांस कुमार (9वां वर्षीतप), मुनिश्री मुकेश कुमार (प्रथम वर्षीतप) तथा मुनिश्री नमि कुमार सहित अनेक तपस्वी साधक भाग लेंगे। इन साधकों ने विभिन्न प्रकार की कठिन तपस्याएं की हैं, जिनमें एक बेला, दो तेला, 16 दिन की तप श्रृंखला, 21 दिन, 51 दिन, 62 दिन तक की तपस्याएं शामिल हैं।
आचार्य तुलसी से दीक्षा प्राप्त मुनिश्री कमल कुमार ने कहा कि वर्षीतप न केवल आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।
चैत्र माह से प्रारंभ होने वाला यह तप, अक्षय तृतीया (आखातीज) के दिन पूर्ण होता है। इस बार भी गंगाशहर में अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने वर्षीतप प्रारंभ किया है, जो अब पारणा की ओर अग्रसर हैं।
जैन समाज के लिए यह दिन अत्यंत श्रद्धा और उमंग का दिन होता है, जिसमें साधकों के तप का सम्मान करते हुए समर्पण और भक्ति भाव से पारणा करवाया जाता है।