बीकानेर में नशे का बढ़ता खतरा: हर तीसरे दिन नया तस्कर गिरफ्त में, युवाओं का भविष्य दांव पर

बीकानेर में नशे का संकट गंभीर होता जा रहा है। 2025 के पहले छह महीनों में ही 862 मामले दर्ज, 1083 तस्कर गिरफ्तार। जानिए कैसे युवा हो रहे हैं स्मैक और हेरोइन के शिकार।

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बीकानेर में नशे का बढ़ता खतरा: हर तीसरे दिन नया तस्कर गिरफ्त में, युवाओं का भविष्य दांव पर
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बीकानेर में नशे का बढ़ता खतरा: हर तीसरे दिन नया तस्कर गिरफ्त में, युवाओं का भविष्य दांव पर

बीकानेर। बीकानेर रेंज में नशा अब महज़ कानून-व्यवस्था की चुनौती नहीं, बल्कि युवाओं की नसों में धीरे-धीरे घुलता ज़हर बन चुका है। पिछले 5 वर्षों में जहां नशीले पदार्थों की खपत में पाँच गुना और तस्करी में बीस गुना इज़ाफा दर्ज हुआ है, वहीं स्मैक, हेरोइन और एमडीएमए जैसे घातक नशे तेजी से युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं।

हर तीसरे दिन नया तस्कर पकड़ा जा रहा

2025 के शुरुआती छह महीनों में ही 862 मुकदमे दर्ज हुए और 1,083 तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़े। पिछले 5 साल में यह आंकड़ा 8,513 गिरफ्तारियों तक पहुंच चुका है। पुलिस ने करोड़ों रुपये की नशीली सामग्री जब्त की है, लेकिन इस बढ़ती गिरफ्तारी दर से साफ है कि नशे का कारोबार अब मोहल्लों, स्कूलों और घरों तक गहराई से पैठ बना चुका है।

डोडा-पोस्त से आगे, अब जानलेवा स्मैक और हेरोइन

कभी डोडा-पोस्त और अफीम जैसे पारंपरिक नशों तक सीमित बीकानेर आज स्मैक, हेरोइन और सिंथेटिक ड्रग्स के जाल में फंस चुका है। एमडीएमए, नशीली गोलियां और अन्य केमिकल ड्रग्स की लगातार हो रही बरामदगी यह साबित करती है कि अब नशा सिर्फ लत नहीं, अपराध और अवैध अर्थव्यवस्था से जुड़ा व्यापार बन चुका है।

समाज और परिवार की चूक भी जिम्मेदार

सेवानिवृत्त आरपीएस अधिकारी ओमप्रकाश जोशी का कहना है,

“अगर अब नहीं चेते, तो अगली पीढ़ी नशे की गिरफ्त में पूरी तरह डूब जाएगी। यह सिर्फ पुलिस या प्रशासन का काम नहीं, समाज, परिवार और स्कूलों को मिलकर जागरूकता फैलानी होगी।

पुलिस की कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरा

भले ही आंकड़ों में पुलिस सख्ती दिखा रही हो, लेकिन तस्करी की दर से तुलना की जाए तो यह कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। नशे का जाल बेहद संगठित और हाईटेक होता जा रहा है, जिसमें ड्रग डिलीवरी से लेकर पेमेंट तक सब कुछ छुपे तौर पर चल रहा है।

समाधान की ज़रूरत

  • शैक्षणिक संस्थानों में नियमित नशामुक्ति सत्र

  • पुलिस और समाज के बीच संवाद कार्यक्रम

  • स्कूल स्तर से नशे के खिलाफ पाठ्यक्रम

  • जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका

  • डिजिटल निगरानी और हॉटस्पॉट चिन्हित करना