संगीत को आत्मा की भाषा बताकर डॉ. अर्पिता गुप्ता ने सरस्वती पूजन के साथ किया शुभारंभ
संगीत को आत्मा की भाषा बताकर डॉ. अर्पिता गुप्ता ने सरस्वती पूजन के साथ किया शुभारंभ
बीकानेर में सोमवार को जय नारायण व्यास कॉलोनी में श्री शास्त्रीय संगीत कला मंदिर संस्थान का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का आरंभ अतिथि समाजसेवी डॉ. अर्पिता गुप्ता द्वारा सरस्वती पूजन के साथ किया गया। संस्थान के सचिव पंडित नारायण रंगा (शास्त्रीय व हवेली संगीतज्ञ) ने बताया कि नई पीढ़ी को शास्त्रीय संगीत से जोड़कर अपनी संस्कृति को बनाए रखना उनका मूल उद्देश्य है।
डॉ. अर्पिता गुप्ता ने संगीत को आत्मा की भाषा बताया और भारतीय शास्त्रीय संगीत के महत्व को उजागर किया। उन्होंने कहा कि संगीत व्यक्ति को एक व्यापक इकाई के रूप में विकसित करता है। इस मौके पर डॉ. अमित पुरोहित ने कहा, "जहां शब्द खत्म होते हैं, वहां संगीत शुरू होता है"। जैजैवंती आचार्य ने संस्थान में तबला, नाल, कांगो, गिटार, हारमोनियम वाद्य यंत्र सीखने के साथ शास्त्रीय खयाल, ध्रुपद, धमार, और सुगम संगीत पर गायन का प्रशिक्षण देने का उल्लेख किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मीनाक्षी सिंह चौहान की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
कार्यक्रम में गायन और वाद्य कला के कई प्रतिभागों ने भाग लिया। गिटार वादक पर्यंक सनवाल, पण्डित भँवर लाल रंगा (ज्योतिषाचार्य), और शहरी "शिरीन क्लासेज" के निदेशक हेमन्त रंगा (हेमन्त सर) ने भी कार्यक्रम में अपना योगदान दिया। जय कमल रिकॉर्डिंग स्टूडियो के तुषार व्यास, धीरज पुरोहित, राघव स्वामी, अक्षरा पुरोहित, यश पुरोहित, मधुसूदन आचार्य, और हरि ओझा भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में बच्चों द्वारा भी गायन की अद्भुत प्रस्तुतियां दी गईं। बिट्ठलपारीक, केनिशा, जहान्वी, वासुदेव, और एकता आचार्य ने बच्चों के द्वारा मनमोहक गायन किया।
Describing music as the language of the soul, Dr. Arpita Gupta started with Saraswati Puja.
Shri Classical Sangeet Kala Mandir Sansthan was inaugurated in Jai Narayan Vyas Colony in Bikaner on Monday. The program was started with Saraswati puja by guest social worker Dr. Arpita Gupta. Secretary of the institute, Pandit Narayan Ranga (classical and Haveli musician) said that their basic objective is to preserve our culture by connecting the new generation with classical music.
Dr. Arpita Gupta described music as the language of the soul and highlighted the importance of Indian classical music. He said that music develops the individual as a comprehensive unit. On this occasion, Dr. Amit Purohit said, “Where words end, music begins”. Jaijavanti Acharya mentioned about the training in singing on classical Khayal, Dhrupad, Dhamar, and Sugam Sangeet along with learning the musical instruments Tabla, Naal, Congo, Guitar, Harmonium at the institute. Meenakshi Singh Chauhan played an important role in making the program successful.
Many participants from vocal and instrumental arts participated in the program. Guitarist Paryank Sanwal, Pandit Bhanwar Lal Ranga (Astrologer), and Hemant Ranga (Hemant Sir), director of urban "Shirin Classes" also contributed to the program. Tushar Vyas, Dheeraj Purohit, Raghav Swami, Akshara Purohit, Yash Purohit, Madhusudan Acharya, and Hari Ojha of Jai Kamal Recording Studio were also present.
Amazing singing performances were also given by children in the program. Bitthalpareek, Kenisha, Jahanvi, Vasudev, and Ekta Acharya gave mesmerizing singing by the children.