प्रदेश में तीसरा सबसे गर्म शहर बना बीकानेर, पूरा शहर घर में कैद, बाजारों में सन्नाटा
प्रदेश में तीसरा सबसे गर्म शहर बना बीकानेर, पूरा शहर घर में कैद, बाजारों में सन्नाटा
गर्मी अपने प्रचंड स्वरूप में है। हर दिन इसकी तल्खी बढ़ती जा रही है। हवा लू के थपेड़ों में तबदील हो चुकी है। थपेड़े भी ऐसे, जो त्वचा झुलसाने में भी पीछे नहीं रह रहे। आंखों में जलन और पूरा चेहरा भभकता हुआ। घरों अथवा अपने नियत स्थान पर पहुंच रहा हर शख्स काफी देर तक प्रचंड गर्मी के प्रभाव से दूर नहीं हो पा रहा।
सुस्ती, मिचली आना और पानी की कमी होना जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। अभी जबकि नौतपा का दूसरा ही दिन निकला है। सूर्य देव के प्रचंड वार से बेहाल जनमानस और पशुपक्षी भी अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि इस बार अधिकतम पारा कहां जाकर टिकेगा। मनुष्य के संघर्षों के परिप्रेक्ष्य में महाकवि हरिवंशराय श्रीवास्तव Òबच्चनÓ की लिखी कविता चल रहा मनुष्य है, अश्रु श्वेत रक्त से, लथपथ लथपथ लथपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ…मानों रविवार को भी सटीक बैठी।
दरअसल, बीकानेर वासियों को नौतपा के पहले दिन ही तगड़ा झटका लगा, जब पारा 47 डिग्री सेल्सियस का मार्क पार गया। इतना ही नहीं, 24 घंटे बाद यानी रविवार को तो इसने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 48.6 डिग्री से. तक की छलांग लगा ली। ऐसे में गर्मी का बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है। गर्म शहरों की बात करें, तो राज्य में बीकानेर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
दहकते अंगारों से गुजरा जनजीवन
रविवार दोपहर में तो हालात विकट ही रहे। लू के अंगारों के सामने स्थिति बदहाल हो गई। साथ ही अधिकतम तापमान हर एक घंटे में एक साथ दो डिग्री बढ़ता गया। न्यूनतम तापमान भी अधिकतम के पदचिन्हों पर चलते-चलते अब तक का सबसे अधिक दर्ज किया गया। सुबह सूर्य निकलने के साथ ही गर्मी तथा लू ने असर दिखाना शुरू किया, तो रात तक भी राहत नहीं मिली। जो लोग सुबह पार्कों में भ्रमण पर गए थे, वे भी पसीने से तर-बतर हो गए।
Bikaner became the third hottest city in the state, entire city imprisoned at home, silence in the markets.
Summer is in its fiercest form. Its bitterness is increasing every day. The wind has turned into gusts of heat. Such slaps too, which are not lagging behind in scorching the skin. Burning sensation in eyes and whole face burning. Every person reaching their homes or their assigned places is not able to stay away from the effects of intense heat for a long time.
Symptoms like lethargy, nausea and dehydration are being seen. Now only the second day of Nautapa has passed. Due to the fierce attack of Sun God, people and even animals and birds are not able to guess where the maximum mercury will be this time. In the context of human struggles, the poem written by the great poet Harivansh Rai Srivastava 'Bachchan', 'The man is walking, tears are white blood, are soaked, soaked, soaked, Agneepath, Agneepath, Agneepath'... as if it was appropriate even on Sunday.
In fact, the people of Bikaner got a big shock on the very first day of Nautapa, when the mercury crossed the 47 degree Celsius mark. Not only this, after 24 hours i.e. on Sunday, it broke all the records till now by 48.6 degrees. Jumped up to. In such a situation, the heat can only be estimated. Talking about hot cities, Bikaner has reached the third position in the state.
Life passed through burning embers
The situation remained critical on Sunday afternoon. The situation became dire in front of the embers of heat wave. Also, the maximum temperature increased by two degrees every hour. Following in the footsteps of the maximum, the minimum temperature was also the highest ever recorded. As soon as the sun rose in the morning, the heat and heat started showing effect, and there was no relief even till night. People who had gone for a walk in the parks in the morning also became drenched in sweat.