अंगारों से दहकते राजस्थान में हुई पेड़ों की शादी, अग्नि के फेरे भी हुए...ये पेड़ बने दूल्हा-दुल्हन

अंगारों से दहकते राजस्थान में हुई पेड़ों की शादी, अग्नि के फेरे भी हुए...ये पेड़ बने दूल्हा-दुल्हन

अंगारों से दहकते राजस्थान में हुई पेड़ों की शादी, अग्नि के फेरे भी हुए...ये पेड़ बने दूल्हा-दुल्हन

राजस्थान में सूरज अंगारे उगल रहा है। आधे से ज्यादा राजस्थान में लू का रेड अलर्ट है, लेकिन इस बीच राजस्थान के कोटा जिले में एक शादी की चर्चा हो रहा है। यह शादी दो पेड़ों के बीच में हुई है। इसमें दूल्हा बना है बड़ का पेड़ और दुल्हन बनी है पीपल यानी पीपली का पेड़। हिंदु रित रिवाज के अनुसार दोनो की शादी की गई है। इस शादी से पेड़ लगाने और हरियाली फैलाने का भी संदेश दिया गया है।

पीपल के पेड़ को दूल्हा बनाया तो पीपली बनी दुल्हन
दरअसल कोटा जिले के कनवास क्षेत्र में यह आयोजन किया गया है। कनवास इलामें की कनवास तहसील के गांव आमली झाड़ में बड़ और पीपल की शादी कराई गई है। पीपल के पेड़ को दूल्हा माना गया है। पीपल के पेड़ के नजदीक डीजे बजाया गया और उसके बाद दूल्हे के परिवार के लोग बने गांव वालों ने वहां जमकर डांस किया। नजदीक के पीपली के पेड़ को दुल्हन स्वरूप माना गया। दुल्हन के परिवार वालों ने दूल्हे के परिवार वालों का स्वागत किया। मनुहार कर उनको भोजन कराया गया। उसके बाद वैदिक मंत्रों और हिंदू रीति रिवाजों से शादी की गई, फेरे हुए। उसके बाद समधी मिलनी की रस्म भी हुई।

इस वजह से कराई पेड़ों की शादी
गांव के लोगों का कहना है कि पीपल पूर्णिमा पर इस तरह का आयोजन किया गया। यही संदेश दिया गया है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की जरूरत है। पेड़ लगाने के बाद ही तापमान को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं इसके धार्मिक महत्व भी हैं। मान्यता है कि शादी के बाद ही बड़ और पीपल के पेड़ शुद्ध यानी पूजा योग्य हो जाते हैं। उन पर जल अर्पण करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

The wedding of trees took place in Rajasthan burning with embers, rounds of fire also took place...these trees became the bride and groom.

The sun is spitting embers in Rajasthan. There is a red alert of heat wave in more than half of Rajasthan, but meanwhile a wedding is being discussed in Kota district of Rajasthan. This marriage took place between two trees. In this, the groom has become a banyan tree and the bride has become a Peepal tree. Both of them were married according to Hindu customs. A message of planting trees and spreading greenery has also been given through this marriage.

When Peepal tree was made the groom then Peepal became the bride.
Actually this event has been organized in Kanwas area of Kota district. The marriage of Bad and Peepal was organized in village Amli Jhar of Kanwas tehsil of Kanwas area. Peepal tree has been considered as the groom. DJ was played near the Peepal tree and after that the villagers, who were members of the groom's family, danced vigorously there. The nearby peepal tree was considered to be the form of a bride. The bride's family welcomed the groom's family. After persuading them, they were given food. After that the marriage ceremony took place with Vedic mantras and Hindu rituals. After that the ceremony of meeting Samadhi also took place.

For this reason the wedding of trees took place
The people of the village say that such an event was organized on Peepal Purnima. The message given is that there is a need to plant more and more trees. The temperature can be reduced to some extent only after planting trees. It also has religious significance. It is believed that only after marriage, the banyan and peepal trees become pure i.e. worthy of worship. By offering water on them, wishes are fulfilled.