राजस्थान में सरकारी नौकरी के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का खेल, बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर
राजस्थान में सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच एजेंसियां अब ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी कर रही हैं।

राजस्थान में सरकारी नौकरी के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का खेल, बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर
जयपुर। राजस्थान में विकलांगता प्रमाण पत्र और विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्र (UDID) जारी करने में गंभीर अनियमितताओं और धोखाधड़ी का बड़ा खुलासा हुआ है। जयपुर स्थित एस.एम.एस. अस्पताल में जांच के दौरान फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्रों के माध्यम से सरकारी नौकरियां हासिल करने के मामले सामने आए हैं।
इस खुलासे से राज्य प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यह जानकारी दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्रालय के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल द्वारा राज्य के मुख्य सचिव सुधांशु पंत को लिखे गए पत्र में सामने आई है।
जाँच में सामने आए फर्जी प्रमाण पत्र
पत्र में बताया गया है कि भरतपुर के सीएमएचओ द्वारा जारी किए गए दो विकलांगता प्रमाण पत्र पूरी तरह से फर्जी पाए गए हैं:
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मामला 1: राहुल कसाना, UID नंबर – 0730020030190150
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मामला 2: प्रमोद, UID नंबर – 0730419890181067
इन दोनों मामलों में फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्रों का उपयोग कर लाभ लेने का प्रयास किया गया।
वहीं, महेंद्र सिंह नैन को जोधपुर सीएमएचओ द्वारा 63% श्रवण हानि का प्रमाण पत्र दिया गया था, लेकिन एस.एम.एस. अस्पताल की जांच में स्पष्ट हो गया कि उन्हें किसी प्रकार की सुनने में कमी नहीं है।
40 और प्रमाणपत्रों की जांच जारी
राजेश अग्रवाल ने अपने पत्र में यह भी बताया कि लगभग 40 अन्य विकलांगता प्रमाण पत्रों की पुनः जांच की जा रही है और सभी को पुनः मेडिकल बोर्ड के समक्ष परीक्षण हेतु बुलाया गया है।
पुलिस जांच की धीमी रफ्तार पर नाराजगी
सचिव अग्रवाल ने पत्र में पुलिस जांच की धीमी प्रगति पर भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की धोखाधड़ी में शामिल डॉक्टरों, सीएमएचओ कार्यालय के कर्मचारियों और अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
मुख्य सचिव की चेतावनी
घोटाले के सामने आने के बाद, मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पताल अधीक्षकों को चेतावनी दी है कि प्रमाण पत्र जारी करने में लापरवाही करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
दो विशेषज्ञों का बोर्ड अनिवार्य
अब प्रदेश में विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दो विशेषज्ञों का एक मेडिकल बोर्ड गठित किया गया है, जिससे प्रमाणपत्रों की वैधता की सही जांच हो सके।
हाल ही में सामने आया एक और मामला
कुछ समय पहले भी एक जूनियर क्लर्क ने 2019 में RPSC में एक नेत्र रोग विशेषज्ञ का फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर नौकरी हासिल कर ली थी, जिससे व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए थे।