देश को नया संसद भवन मिल रहा है मगर केंद्र की इस बडी उपलब्धि को पचा नहीं पा रहा विपक्ष
देश को नया संसद भवन मिलने जा रहा है। देश के लिए ये बडी उपलब्धि हैै। ये देशवासियों के लिए भी गर्व का विषय है मगर कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष को मोदी सरकार की ये बडी उपलब्धि पच नहीं रही है। कारण सिर्फ ओछी राजनीति है। अब मुदा उठाया गया है कि देश के प्रधानमंत्री कौन होते हैं इसका उदघाटन करने वाले, इसका उदघाटन तो राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए मगर ऐसी बात करने वाले खुद भूल जाते हैं
कि जब कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी केवल सांसद थे उनके पास कोई बडा संवैधानिक पद नहीं था फिर भी ये लोग छत्तीसगढ के नए विधानसभा का उदघाटन कर आए क्योकि छत्तीसगढ में कांग्रेस की सरकार है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने आलाकमना को खुश करने के लिए सोनिया गांधी व राहुल गांधी को नए विधानसभा भवन का उदघाटन करने का न्यौता भेजा।
उस समय छत्तीसगढ की सरकार ने राज्यपाल को भी नहीं बुलाया। ऐसे का8 उद्घाटन सोनिया व राहुल कर चुके है। देश ये जानना चाहता है कि कांग्रेस के ये दोनों नेता किस संविधान की दुहाई दे रहे है। उस समय राज्यपाल को क्यो नहीं बुलाया गया।
दरअसल मोदी सरकार की हर योजना का विरोध करना ही इनकी राजनीति का हिस्सा हो गया है। ये कौनसी राजनीति है। सरकार यदि अच्छा कर रही है तो उसकी तारीपफ भी होनी चाहिए और बुरा कर रही है
तो उसका जोरदार विरोध होना चाहिए। राजनीति तो यही कहती है मगर हमारे यहां विगत 9 सालों से केवल विरोध करना ही राजनीति हो गया है। कुल मिलाकर देश में एक ही राजनीति चल रही है कि देश के प्रधानमंत्री को नीचा कैसा दिखाया जाए। कांग्रेस के एक बडे नेता तो मोदी का नाम लेकर उसे नीच आदमी तक कह चुके है।
दरअसल कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही है तो उसे विपक्ष का किरदार निभाना आ नहीं रहा है।
सोनिया के सलाहकार तो एक एक करके पार्टी को अलविदा कह चुके है और अब कमान राहुल के पास है। राहुल के सलाहकार उन्हें अच्छी सलाह के बजाय केवल मोदी का विरोध करने की ही सलाह दे रहे हैं। आज यदि नए संसद भवन के मामले में राहुल दो कदम आगे बढकर मोदी सरकार की तारीफ करें और नए भवन को देश की बडी उपलब्धि बताए तो इसमें राजनीतिक नफा नुकसान जैसा कुछ नहीं है
यदि बीजेपी की आईटी सेल इसे यह कहकर भुनाए कि देखो अब तो कांग्रेस भी हमारी मोदी सरकार की तारीफ कर रही है तो इसका नुकसान बीजेपी को ही होगा और कांग्रेस का मान बढेगा लेकिन मोदी सरकार के हर मुददे को लपकने की जल्दबाजी में कांग्रेस ने इस बार गलत कदम उठा लिया है। बाकि विपक्षी दल तो कांग्रेस के बराबर कही नजर नहीं आते तो ऐसे में भले ही अन्य 18 दल इस मुदे पर कांग्रेस के साथ आए तो मगर नेतृत्व तो कांग्रेस ही करती दिख रही है
इसलिए इसका नुकसान भी आने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को ही उठाना पडेगा। इस बार मोदी सरकार का बेतुका विरोध कांग्रेस के गले की हडडी बन जाएगा। क्योकि नए संसद भवन बनाने में मोदी का कोई स्वार्थ नहीं बल्कि देश की आत्मनिर्भरता का सवाल है। पूरी दुनिया मोदी का लोहा मानती है मगर उसे घर में यानी भारत में विपक्षी दल नीचा दिखाने के लिए ओछे हथकंडे अपना रहे है मगर जनता सब जानती है। देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में नया संसद भवन एक प्रतीक के रूप में उभरेगा इसमें कोई शक नहीं है।