सीरियल देख करोड़पति बनना चाहते थे 9वीं के स्टूडेंट, चांदी के बिजनेस का था प्लान, पुलिस-पेरेंट्स को चकमा देने के लिए की रिसर्च
ऑनलाइन शो से प्रभावित होकर दो नाबालिग स्टूडेंट घर से अमीर बनने के लिए भाग गए। उन्होंने बाकायदा सात दिन तक प्लानिंग की और पुलिस-पेरेंट्स को चकमा देने का होमवर्क भी किया। बस, एक चूक हो गई और दोनों पकड़े गए। जब काउंसलिंग की गई तो उनकी बातें सुनकर अफसर भी हैरान रह गए।
बच्चे जोधपुर शहर के पॉपुलर स्कूल सेंट पॉल में पढ़ते हैं। नौंवी क्लास के ये स्टूडेंट 6 मई को अचानक गायब हो गए थे। पेरेंट्स को घर पर एक लेटर मिला तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने स्कूल से लेकर आसपास के बाजारों में तलाश शुरू की, इस बीच इनपुट मिला कि बच्चे जैसलमेर में हैं।
शनिवार रात करीब साढ़े 9 बजे दोनों बच्चों को पुलिस अधिकारी पेरेंट्स के साथ जोधपुर लेकर आए। यहां उनसे बातचीत की गई। दोनों ने जो बताया, वो चौंकाने वाला था। पढ़िए- कैसे भागने का प्लान बनाया और कैसे पकड़ में आए…
काउंसलिंग के दौरान बच्चों ने बताया कि ऑनलाइन शो ‘ओह माय गॉड’ से उन्हें आइडिया आया। उसमें सक्सेसफुल लोगों को टास्क दिया जाता है और इसके बाद वे अपने अमीर बनने की कहानी बताते हैं। इसी से प्रभावित होकर प्लान बनाया और घर से भाग गए।
दोनों कुछ समय से शो देख रहे थे। बता दें कि ‘ओह माय गॉड’ बिजनेस से जुड़ा शो है और दावा किया जाता है कि इसमें आने वाले सभी पात्र काल्पनिक होते हैं। स्टूडेंट्स ने इसी शो पर अलग-अलग बिजनेसमैन की कहानी देखी। उन्होंने भी अमीर बनने की सोची। स्कूल से गायब होने से सात दिन पहले प्लानिंग शुरू कर दी थी।
गोवा जाकर चांदी का बिजनेस करना चाहते थे
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक दोनों चांदी का बिजनेस शुरू करने की प्लानिंग कर रहे थे। थाना अधिकारी जोगेंद्र सिंह ने बताया कि बिजनेस के लिए वे गोवा जाना चाहते थे। दोनों ने तय किया कि पहले चांदी का बिजनेस करेंगे और जब सक्सेसफुल हो जाएंगे तो ट्रैवल्स का काम करेंगे।
उन्होंने भागने से पहले कपड़े से लेकर रुपए तक की सारी व्यवस्था कर ली थी। एक स्टूडेंट अपने जमा किए 90 हजार रुपए लेकर आया था। इसी गुल्लक में उसने लेटर भी छोड़ा था, जो बाद में पेरेंट्स को मिला।
दोनों शनिवार को स्कूल से गायब हुए, उस दिन बैग में अपने कपड़े लेकर भी आए। दोपहर 12 बजे स्कूल से निकलने के बाद दोनों स्टेशन की तरफ गए। शास्त्री सर्किल से उन्होंने ऑटो लिया था। ऑटो में ही दोनों ने कपड़े बदले और जोधपुर स्टेशन पहुंचे।
पुलिस को चकमा देने के लिए खरीदे तीन-तीन टिकट
जोधपुर से जैसलमेर, वहां से बीकानेर और फिर बीकानेर से गोवा जाने का प्लान बनाया था। पुलिस को चकमा देने के लिए तीन शहरों के टिकट खरीदे। वे जोधपुर स्टेशन पहुंचे तो उस समय एक ट्रेन नागपुर, एक मुंबई की ओर जाने वाली रणकपुर एक्सप्रेस और एक जैसलमेर जाने वाली ट्रेन थी।
दोनों ने मुंबई, नागपुर और जैसलमेर के लिए तीन टिकटें खरीदीं। पहले रणकपुर एक्सप्रेस में बैठे, लेकिन इस ट्रेन से निकलकर वे सीधे जैसलमेर वाली ट्रेन में चले गए।
पुलिस ने जब सीसीटीवी देखे तो दोनों रणकपुर एक्सप्रेस में बैठे दिखे। इस पर आबूरोड जीआरपी को अलर्ट किया। स्टेशन पर रिकॉर्ड खंगाला तो पता चला कि नागपुर के भी दो टिकट लिए हैं। इस पर जयपुर में भी जीआरपी को अलर्ट किया गया।
एक रिचार्ज की रिक्वेस्ट पर हो गई लोकेशन ट्रेस
बच्चे रात तक जैसलमेर में पहुंच चुके थे। वे एक होटल में कमरा लेने के लिए पहुंचे थे, लेकिन दोनों के पास आईडी न होने व नाबालिग होने पर होटल वाले ने कमरा देने से मना कर दिया।
इस दौरान एक स्टूडेंट का मोबाइल डेटा खत्म हो गया था तो उसने होटल वाले से वाई-फाई मांगा। उसने भी रिचार्ज नहीं होने का हवाला देकर मना कर दिया।
इसके बाद स्टूडेंट ने अपनी दोस्त को इंस्टाग्राम पर होटल वाले का नंबर भेजा और उसे नंबर पर रिचार्ज करने को कहा। उन्होंने अपनी दोस्त को भी नहीं बताया था कि वे कहां हैं? उसकी दोस्त ने सूझबूझ दिखाते हुए उनके पेरेंट्स से कॉन्टैक्ट किया और बताया कि एक नंबर पर रिचार्ज कराने को कहा है।
फटाफट पुलिस को भी इसकी सूचना दी गई। पुलिस ने इस नंबर को ट्रेस किया तो पता चला कि ये जैसलमेर का है। पुलिस ने जीआरपी की मदद से जोधपुर स्टेशन के दोबारा फुटेज खंगाले। जैसलमेर जीआरपी होटल पहुंची, लेकिन तब दोनों वहां से निकल चुके थे। बाद में दोनों जैसलमेर रेलवे स्टेशन के आसपास पकड़े गए।
लेटर में लिखा चिंता मत करना
पेरेंट्स को एक लेटर भी मिला था। इसमें लिखा था– हमारी चिंता मत करना, हम जल्द ही लौटेंगे।
लेटर में लिखा था– हाय मम्मी एंड पापा, मुझे पता है कि आप सोच रहे होंगे कि मैं कहां गया हूं… तो हकीकत में मैं अपने दोस्त के साथ जा रहा हूं। आप टेंशन मत लेना। मैं वापस जरूर आऊंगा। पैसे वाला बनकर। हम दोनों साथ में भाग रहे हैं। नाराज मत होना मम्मी। ऐसा समझ लेना मैं कहीं बाहर पढ़ने गया हूं। वापस जरूर आऊंगा, लेकिन कामयाब होकर। अपना ख्याल रखना।
इसी लेटर में ये भी लिखा था– दोस्त के परिवार को भी बता देना कि वो मेरे साथ है। आपकी याद आएगी मम्मी। आई लव यू मम्मी, पापा। ज्यादा रोना मत। मैं 8-10 साल में या कम में कामयाब होकर आ जाऊंगा। जैसा चल रहे थे, वैसे ही चलते रहना और दुखी मत होना, क्योंकि मैं आऊंगा जरूर। बाय-बाय।
पेरेंट्स ट्रैक करें, बच्चे क्या देख रहे हैं
डॉक्टर्स का कहना है कि कम उम्र में देखकर सीखना यानी ऑब्जर्वेशन लर्निंग बहुत कॉमन होती है। बच्चे जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। टीवी के ड्रामा को रियल्टी से डिफरेंस करना उनको नहीं आता।
क्योंकि उनका ब्रेन डेवलपिंग फेस में होता है। ब्रेन के एरिया जो सही गलत का अंतर सिखाते हैं, वह अच्छे से विकसित नहीं होते हैं। इसके चलते भी इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं।
इसके लिए पेरेंट्स को उन पर नजर रखनी चाहिए। यह देखना चाहिए कि बच्चे क्या देख रहे हैं और क्या समझ रहे हैं। उनकी टीवी वाॅचिंग का टाइम लिमिटेड करना चाहिए। बच्चों को सही और गलत का अंतर बताना चाहिए। बच्चों को अपना दोस्त बनाएं, जिससे वह अपनी बातें भी शेयर कर सकें।