दिल्ली: राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भावुक हो गए। राज्यसभा से विदा हो रहे चार सांसदों की विदाई में भाषण देते हुए प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नुलाम नबी आजाद के एक फोन कॉल को याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने एक आतंकी घटना को याद करते हुए बोल रहे थे तभी भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू आ गए।
दरअसल आज जम्मू कश्मीरके 4 राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद, मीर मोहम्मद फैयाज, शमशेर सिंह मन्हास और नजीर अहमद लवे का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इस मौके पर उन्हें फेयरवेल दी गई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी सांसदों को संबोधित किया और गुलाम नबी आजाद की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कहा कि ‘श्रीमान गुलाम नबी आजाद जी, श्रीमान शमशेर सिंह जी, मीर मोहम्मद फैयाज जी, नादिर अहमद जी मैं आप चारों महानुभावों को इस सदन की शोभा बढ़ाने के लिए, आपके अनुभव, आपके ज्ञान का सदन को और देश को लाभ देने के लिए और आपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान के लिए आपके योगदान का धन्यवाद करता हूं।’ इन चारों सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है।
#WATCH: PM Modi gets emotional while reminiscing an incident involving Congress leader Ghulam Nabi Azad, during farewell to retiring members in Rajya Sabha. pic.twitter.com/vXqzqAVXFT
— ANI (@ANI) February 9, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुलाम नबी आजाद को सच्चा दोस्त बताते हुए कहा, ‘मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी जी के बाद जो भी इस पद को संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी, क्योंकि गुलाम नबी जी अपने दल की चिंता करते थे, लेकिन देश और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे। ये छोटी बात नहीं बहुत बड़ी बात है। विपक्ष का नेता होने का मोह किसी को भी हो सकता है। गुलाम नबी जी ने बखूबी इस काम को निभाया है।’
गुलाम नबी आजाद से जुड़े एक पुराने वाक्या को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘गुलाम नबी जी जब मुख्यमंत्री थे, तो मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था। हमारी बहुत गहरी निकटता रही। एक बार गुजरात के कुछ यात्रियों पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, 8 लोग उसमें मारे गए। सबसे पहले गुलाम नबी जी का मुझे फोन आया। उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। उस समय प्रणब मुखर्जी जी रक्षा मंत्री थे। मैंने उनसे कहा कि अगर मृतक शरीरों को लाने के लिए सेना का हवाई जहाज मिल जाए तो उन्होंने कहा कि चिंता मत करिए, मैं करता हूं व्यवस्था।’
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘गुलाम नबी जी उस रात को एयरपोर्ट पर थे। उन्होंने मुझे फोन किया और जैसे अपने परिवार के सदस्य की चिंता करते हैं, वैसी चिंता वो कर रहे थे। सत्ता जीवन में आते रहती है लेकिन उसे कैसे पचाना ये कोई गुलाम जी से सीखे। मेरे लिए वो बड़ा भावुक पल था। दूसरे दिन सुबह फोन आया। मोदी जी सब पहुंच गए। इसलिए एक मित्र के रूप में गुलाम नबी जी का घटना और अनुभव के आधार पर मैं आदर करता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी सौम्यता, नम्रता, देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना उन्हें चैन से बैठने नहीं देगी। देश उनके अनुभव से लाभान्वित होगा।’